
जेनेवा। हाल के दिनों में जिस तरह से पाकिस्तान ने भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर बात करने लगा है उसे देखते हुए अब पड़ोसी देश में मानवाधिकार की स्थिति का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ज्यादा जोरदार तरीके से खुलासा किया जाएगा। इस बात के संकेत भारत ने जेनेवा में मानवाधिकार परिषद की सोमवार से शुरू हुई बैठक के पहले दिन ही दे दी।
भारतीय प्रतिनिधि ने अपने भाषण में पाकिस्तान में पश्तुनों, बलूचों व हजारा समुदाय के लोगों की बदहाल स्थिति का खुलासा कर पाकिस्तान को आईना तो दिखाया ही साथ ही वहां अल्पसंख्यकों को कानूनी तौर पर जिस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है उसके जरिए भी कलई खोल दी। भारत ने परिषद से आग्रह किया कि किस तरह से पाकिस्तान इस अंतरराष्ट्रीय मंच का गलत इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए कर रहा है।
पाकिस्तान कर रहा राजकीय निगरानी में सामूहिक नरसंहार
जेनेवा स्थिति मानवाधिकार परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के अधिकारी एस सेंथिल कुमाल ने उत्तर देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपनी बात रखी। दरअसल, उनसे पहले पाकिस्तान की तरफ से वहां कश्मीर मुद्दे को उठाया गया था और वहां आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग की गई थी। भारत ने अपने जवाब में कहा है कि पाकिस्तान समूचे दक्षिण एशिया में एकमात्र देश है जो राजकीय निगरानी में सामूहिक नरसंहार कर रहा है। अपने क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए प्रतिष्ठित मानवाधिकार परिषद की प्रतिष्ठता को भी ठेस पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर की तेजी से हो रही प्रगति
भारत ने जम्मू व कश्मीर को लेकर अगस्त, 2019 में जो फैसला किया है उसका किसी भी बाहरी देश पर असर नहीं होने वाला है। पाकिस्तान की कोशिशों के बावजूद वहां तेजी से शांति स्थापित हो रही है। भारत ने आगे कहा है कि परिषद को अपना ध्यान पाकिस्तान में मानवता के खिलाफ हो रहे अपराधों और वहां की सरकारी एजेंसियों को इन अपराधों से जो सुरक्षा मिली हुई है उस पर देना चाहिए। पाकिस्तान में अभी तक जबरन गायब होने वाले लोगों की घटनाओं को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है।
पाकिस्तान से हजारों बलूचों और पश्तूनों को किया जा रहा गायब
भारत ने पाकिस्तान के विभिन्न प्रांतों में गायब होने वाले लोगों की समस्याओं को भी सामने रखा है। खैबर पख्तुनवां प्रांत में 2500 लोगों गायब हैं और ये अपने राजनीतिक, धार्मिक व मानवाधिकार को लेकर आवाज उठाने की वजह से गायब किये गये हैं। इसी तरह से ब्लूचिस्तान से 47,000 बलोच गायब हैं जबकि 35,000 पश्तून गायब हैं जिनका कोई अता-पता नहीं है। 500 हजारा समुदाय के लोगों को हाल के दिनों में मौत के घाट उतार दिया गया है जबकि एक लाख हजारा पाकिस्तान छोड़ कर जा चुके हैं।
अल्पसंख्यकों की स्थिति भी बिगड़ती जा रही है दिनों दिन स्थिति
यही नहीं, वहां अल्पसंख्यकों की स्थिति भी दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। इस संदर्भ में भारतीय प्रतिनिधि ने हाल ही में सिंध में दो हिंदु लड़कियों, लाहौर में एक ईसाई लड़की, चलेकी में एक अहमदिया लड़की को ईशनिंदा कानून का निशाना बनाया गया है। भारत ने पाकिस्तान में वर्ष 2015 के बाद मारे गये 65 ट्रांसजेंडरों का मुद्दा भी सामने लाया है जो बताया है कि वहां उनकी क्या स्थिति है।